bible me se parmeshwar ke jivan ko prapt karne ke tarike
जय मसीह की दोस्तों,
दोस्तों आज हम जिस विषय पर बात करने वाले हैं वो हैं बाइबल में से परमेश्वर के जीवन को कैसे प्राप्त कर सकते है? या तो ये कह सकते है परमेश्वर को कैसे जान सकते है?
आज में इसी सवाल का जवाब देने वाला हुॅं। तो चलिए जानते है इस सवाल का जवाब।
बाइबल में से परमेश्वर के जीवन को प्राप्त करने के बहुत से तरीके हैं जैसे कि बाइबल पढ़ना, बाइबल अध्ययन करना, वचन को मनन करना। ये तीनों एक जैसे लगते है लेकिन ये है नहीं ये तीनों अलग अलग है।
बाइबल में से परमेश्वर के जीवन को प्राप्त करने के तरीके हैं
वचन को पढ़ना
परमेश्वर के वचन को पढ़ने से जीवन में आशिष, चरित्र का विकास और चमत्कारी जीवन को लता है। हम बाइबल में देख सकते है पुराने नियम में धर्मशास्त्र पढ़ने पर जोर दिया है। हम नहेम्याह की किताब देख सकते है की जब धर्मशास्त्र सभा में पढ़ा गे तो सभा में बढ़ी जागृति आयी। हम बाइबल में देख सकते है की “धन्य है वह जो इस भविष्यद्वाणी के वचन को पढ़ता है।” (प्रकाशित वाक्य 1:3) इस तरह से नए नियम में भी वचन को पढ़ने के लिए जोर दिया गया है उसके बाद हम पौलुस की पत्री में भी देख सकते है जो तीमुथियुस को लिखी गयी है। “जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह। उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यद्वाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्चिन्त न रह। उन बातों को सोचता रह, और इन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख।” (1 तीमुथियुस 4:15) इस तरह से पौलुस ने युवा तीमुथियुस को धर्मशास्त्र पढ़ने पर और मनन करने और सीखाने के लिए उत्साहित किया ताकि सब लोगो पर उन्नति प्रगट हो। इस तरह से पुराने और नए नियम दोनों में वचन को पढ़ने पर जोर दिया गया है।
वचन को अध्ययन करना
परमेश्वर के धर्मशास्त्र से जीवन को प्राप्त करने का दूसरा तरीका है वचन का अध्ययन करना। आप वचन के विद्वान बने के लिए आप बाइबल शब्दोकोष , अनुक्रमाणिका , बाइबल संदर्भों और दूसरे अनुवादों को पढ़ सकते। हो सके तो आप दूसरी भाषा के बाइबल को भी पढ़ सकते है। यीशु मसीह के समय में धार्मिक लोग धर्मशास्त्र के सार को खुले हृदय के साथ धर्मशास्त्र को खोजने में पराजित हो गए थे। नए नियम में हम प्रेरितों की किताब में हम बीरिया की कलीसिया के बारे में देखते है वह उपदेश को ध्यान से सुनते उसके बाद धर्मशास्त्र में ऐसा है की नहीं वह ढूंढते। इसी बात ने उन्हें दूसरी कलीसिया से कुलीन बनाया। इस तरह से आप भी धर्मशास्त्र का अध्ययन कर के परमेश्वर के जीवन को प्राप्त है।
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वचन को मनन करना
परमेश्वर के धर्मशास्त्र से जीवन को प्राप्त करने का तीसरा तरीका है वचन को मनन करना। बाइबल बताती है की “शब्द मरता है परन्तु आत्मा जिलाता है ” (2 कुरिन्थियों 3:6 ) जब तक वचन आपकी आत्मा में गुल न तक वचन की जुगाली और बार बार उसके बारे में सोचते रहे। वचन को करने अर्थ यही है की वचन की जुगाली करते रहे जैसे boffello चारा चरने के बाद जुगाली करता रहता है वैसे ही वचन को सुनाने या पढ़ने के बाद जुगाली करते रहे मतलब वचन को अपने मन में सोचते रहे। इस तरह से मनन करना आपके हृदय को प्रकाशित करेगा। मनन आपके वैचारिक जीवन और आपके स्वभाव को भी बदलेगा बाइबल हमे बताती है की मनुष्य जैसा अपने मन में सोचता है वैसा ही वह होता है। हम उत्पति के देखते है की इसहाक मनन करने के लिए खेत में गया। यह आपको सेवा में सफल और फलवन्त बनता है। इस तरह से वचन को मनन करने से आप परमेश्वर के जीवन को प्राप्त कर सकते है।
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