जय मसीह की दोस्तों ,
दोस्तों आज मैं जिस कहानी के बारे में बताने वाला हूँ । वो शमूएल भविष्यवक्ता की कहानी है और वह बाइबल में बहुत ही famous कहानी है । बाइबल में वह एक विश्वास के हीरो रहे है ।
मैंने विश्वास के बारे में दूसरा आर्टिकल भी लिखा है वह देखने के लिए लिंक पे क्लीक करे
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शमूएल न्यायाधीशों की अविधि में जीवित रहे और राजतन्त्र की अविधि की शरुआत की । वह इस्राएल का अंतिम न्यायाधीश रहा –
तब वे मिस्पा में इकट्ठे हुए, और जल भरके यहोवा के साम्हने उंडेल दिया, और उस दिन उपवास किया, और वहां कहने लगे, कि हम ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। और शमूएल ने मिस्पा में इस्राएलियों का न्याय किया। ( 1 शमूएल 7:6)
शमूएल ने एक याजक के रूप में भी कार्य किया –
परन्तु शमूएल जो बालक था सनी का एपोद पहिने हुए यहोवा के साम्हने सेवा टहल किया करता था। ( 1 शमूएल 2:18)
शमूएल एक भविष्यवक्ता के रूप में –
और दान से बेर्शेबा तक के रहनेवाले सारे इस्राएलियों ने जान लिया कि शमूएल यहोवा का नबी होने के लिये नियुक्त किया गया है। ( 1 शमूएल 3:20) शमूएल एक महान विश्वास के हीरो रहे। (इब्रानियों 11:32)
शमूएल के पिता का नाम एल्काना था और माता का नाम हन्ना था । एल्काना की दो पत्नी थी एक का नाम पन्ना और दूसरी का नाम हन्ना था । पन्ना के बच्चे थे लेकिन हन्ना के बचे नहीं थे । इसलिए पन्ना हन्ना को चिढ़ाते रहती थी । एल्काना हर साल अपने नगर रामतैमसोपीम से शीलो सेनाओ के यहोवा को दण्डवत करने और मेलबलि चढाने को आता था –
एप्रैम के पहाड़ी देश के रामतैम सोपीम नाम नगर का निवासी एल्काना नाम पुरूष था, वह एप्रेमी था, और सूप के पुत्र तोहू का परपोता, एलीहू का पोता, और यरोहाम का पुत्र था। और उसके दो पत्नियां थीं; एक का तो नाम हन्ना और दूसरी का पनिन्ना था। और पनिन्ना के तो बालक हुए, परन्तु हन्ना के कोई बालक न हुआ। वह पुरूष प्रति वर्ष अपने नगर से सेनाओं के यहोवा को दण्डवत करने और मेलबलि चढ़ाने के लिये शीलो में जाता था। ( 1 शमूएल 3:20)
हन्ना बाँझ थी उसका कोई बच्चा नहीं होता था जब वह शीलो आयी तो उसने यहोवा परमेश्वर से प्रार्थना की और मन्नत मानी की उसको पुत्र दे तो वह उसको जीवन भर यहोवा को अर्पण करेगी –
और उसने यह मन्नत मानी, कि हे सेनाओं के यहोवा, यदि तू अपनी दासी के दु:ख पर सचमुच दृष्टि करे, और मेरी सुधि ले, और अपनी दासी को भूल न जाए, और अपनी दासी को पुत्र दे, तो मैं उसे उसके जीवन भर के लिये यहोवा को अर्पण करूंगी, और उसके सिर पर छुरा फिरने न पाएगा।( 1 शमूएल 1:11)
इस तरह से शमूएल हन्ना के प्रार्थना के उत्तर में हुआ था । और जब मन्नत के मुताबिक जब शमूएल का दूध छुड़ाया गया तब हन्ना ने शीलो में यहोवा के भवन में लेकर यहोवा को अर्पण किया और जीवन भर वह यहोवा का ही बना रहे । जब शमूएल के माता – पिता घर लौट गए तब शमूएल शीलो में ही रहा और एली याजक के द्वारा शमूएल का पालन पोषण हुवा। एली को परमेश्वर के न्याय का समाचार देकर उसने प्रगट किया की परमेश्वर उसे एक भविष्यवक्ता का प्रशिक्षण देकर तैयार कर रहा है । एली बूढ़ा हो गया था इसलिए एली को धुंधला दिखाई देता था और एली के पुत्र दुष्ट और मूर्तिपूजक थे। इसलिए परमेश्वर ने एली की जगह शमूएल को चुना ।
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एली के पुत्र दुष्ट और मूर्तिपूजक थे, परन्तु शमूएल ने यहोवा की सेवा की। जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि परमेश्वर ने एली की तुलना में शमूएल के साथ अधिक घनिष्ठता से बात की। जब पलिश्तियों ने इस्राएल को हरा दिया, एली के पुत्रों को मार डाला, और वाचा का सन्दूक ले लिया तो एली को आने वाली आपदा के बारे में चेतावनी देने के लिए परमेश्वर ने सैमुअल से बात की। एली की मृत्यु के पश्चात शमूएल इस्राएल का मुख्य शासक नियुक्त हुआ लोगोने हर एक स्थान पर उसे परमेश्वर का भविष्यवक्ता और राष्ट्र का धार्मिक अगुआ मान कर स्वीकार किया बाद में, सैमुअल के नेतृत्व में, लोगों ने मूर्तिपूजा के अपने पाप से पश्चाताप किया और पलिश्तियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण लड़ाई जीतने में सफल रहे।
शमूएल बूढ़ा हो गया तब लोगोने अपने आस पास के देशो में जिस तरह राजा होते थे इस तरह से इस्राएल के लिए भी राजा माँगा । इसे यह बात शमूएल को बुरी लगी और उसने परमेश्वर से प्रार्थना की तब परमेश्वर ने शमूएल को बताया की लोगोने उनका नहीं पर मेरा अस्वीकार किया है । परमेश्वर ने शमूएल से लोगो को चेतावनी देने को कहा की जिस प्रकार न्यायियों के समय में परमेश्वर ने दंड दिया था वैसा ही दंड वह राजाओ के समय में भी देगा ।
इस तरह से इस्राएल को पहला राजा शाऊल को परमेश्वर ने दिया जिसका राजा होने का अभिषेक शमूएल ने किया । इस तरह से शाऊल इस्राएल का पहला राजा मिला । और शाऊल ने बहुत से युद्ध को जीता। लेकिन शाऊल की अधीरता और अवज्ञा के कारण परमेश्वर ने शाऊल को राजा होने से अस्वीकृत कर दिया और परमेश्वर ने इसराइल को दूसरा राजा के रूप पे दाऊद को खड़ा किया और उसका भी राज्याभिषेक शमूएल ने किया । और दाऊद परमेश्वर का मन गमता व्यक्ति था । इस तरह से शमूएल ने दो राजाओं का अभिसेक किया।
जब वह मरा, तो समस्त इस्राएल ने उसके लिये शोक मनाया। उन्हें उनके गृहनगर रामा में दफनाया गया था –
“और शमूएल मर गया; और समस्त इस्राएलियों ने इकट्ठे होकर उसके लिये छाती पीटी, और उसके घर ही में जो रामा में था उसको मिट्टी दी। तब दाऊद उठकर पारान जंगल को चला गया।।” ( 1 शमूएल 25:1)
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इस तरह से हम देख सकते है की शमूएल एक न्यायाधीश, एक भविष्यवक्ता, एक याजक और एक महान विश्वास के हीरो रहे थे जो परमेश्वर से वाणी को सुनकर लोगो के पास पहुंचते थे ।
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