bible verses about sprititual growth in hindi
इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर चट्टान पर बनाया। (मत्ती 7:24)
परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूॅंगा। (अय्यूब 23:10)
क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उस को डाॅंटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है॥ (नीतिवचन 3:12)
और जो मिट्टी का बर्तन वह बना रहा था वह बिगड़ गया, तब उसने उसी का दूसरा बर्तन अपनी समझ के अनुसार बना दिया। (यिर्मयाह 18:4)
और लोग नया दाखरस पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं; क्योंकि ऐसा करने से मशकें फट जाती हैं, और दाखरस बह जाता है और मशकें नष्ट हो जाती हैं, परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरते हैं और वह दोनों बचे रहते हैं। (मत्ती 9:17)
परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिये जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माॅंगा जाएगा, और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से बहुत लिया जाएगा॥ (लूका 12:48)
शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को माॅंग लिया है कि गेंहूं की समान फटके।
परन्तु मैं ने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना। (लूका 22:31-32)
अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूॅं॥ (यूहन्ना 3:30)
मैं तुम से सच सच कहता हूॅं, कि जब तक गेहूॅं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है। (यूहन्ना 12:24)
जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छाॅंटता है ताकि और फले। (यूहन्ना 15:2)
तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। (यूहन्ना 15:4)
और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। (रोमियो 6:13)
इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूॅं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।
और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥ (रोमियो 12:1-2)
इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्ट भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। (2 कुरिन्थियों 4:16-17)
तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको॥ (1 कुरिन्थियों 10:13)
क्योंकि यद्यपि हम शरीर में चलते फिरते हैं, तौभी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते।
क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं। (2 कुरिन्थियों 10:3-4)
और उस ने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूॅंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे।
इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूॅं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूॅं, तभी बलवन्त होता हूॅं॥ (2 कुरिन्थियों 12:9-10)
और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। (फिलिप्पियों 1:6)
विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़; और उस अनन्त जीवन को धर ले, जिस के लिये तू बुलाया, गया, और बहुत गवाहों के सामने अच्छा अंगीकार किया था। (1 तीमुथियुस 6:12)
मसीह यीशु के अच्छे योद्धा की समान मेरे साथ दु:ख उठा। (2 तीमुथियुस 2:3)
हे मेरे भाइयो, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। (याकूब 1:2-3)
इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा। (याकूब 4:7)
और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन लिये नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण दु:ख में हो।
और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशवान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे। (1 पतरस 1:6-7)
हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।
पर जैसे जैसे मसीह के दु:खों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो। (1 पतरस 4:12-13)
और उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है। बहुतेरे यह देखकर डरेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे॥ (भजन संहिता 40:3)
मैं तुम को नया मन दूॅंगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूॅंगा; और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकाल कर तुम को मांस का हृदय दूॅंगा। (यहेजकेल 36:26)
अत: उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। ( रोमियो 6:4)
इसलिये यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब बातें नई हो गई है। (2 कुरिन्थियों 5:17)
और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुरूप सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है॥ (इफिसियों 4:23-24)
हे भाइयो, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूॅं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊॅं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। (फिलिप्पियों 3:13-14)
आमीन।