wisdom word in bible hindi me part 2

Wisdom word in bible बाइबल में बुद्धि के  हिन्दी में पार्ट 2 

प्रिय,
आज हम बाइबल में से प्रार्थना से संबंधित वचन के दूसरे भाग को देखेंगे अगर आपने पहले भाग को नहीं देखा तो देखने के लिए यँहा click kare
क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं। (2 कुरिन्थियों 5:7)
3 और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।
6क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुॅंह से निकलती हैं। (नीतिवचन 2:3,5-6)
मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुॅंह से कहना यहोवा की ओर से होता है। (नीतिवचन 16:1)
बुरे लोग न्याय को नहीं समझ सकते, परन्तु यहोवा को ढूॅंढने वाले सब कुछ समझते हैं। (नीतिवचन 28:5)
2 और यहोवा की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, युक्ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरा रहेगा।
3 ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध सा भाएगा॥ वह मुॅंह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा। (यशायाह 11:2-3)
और परमेश्वर ने उन चारों जवानों को सब शास्त्रों, और सब प्रकार की विद्याओं में बुद्धिमानी और प्रवीणता दी; और दानिय्येल सब प्रकार के दर्शन और स्वप्न के अर्थ का ज्ञानी हो गया। (दानिय्येल 1:17)
पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से माॅंगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी। (याकूब 1:5)
अपनी करूणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूॅं॥ (भजन संहिता 143:8)
10 मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा कैसे पूरी करूॅं, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! तेरा भला आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!
11 हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले! (भजन संहिता 143:10-11)
कि बुद्धिमान सुन कर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए.( नीतिवचन 1:5)
मूढ़ को अपनी ही चाल सीधी जान पड़ती है, परन्तु जो सम्मति मानता, वह बुद्धिमान है। (नीतिवचन 12:15)
बिना सम्मति की कल्पनाएॅं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है। (नीतिवचन 15:22)
सम्मति को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, कि तू अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे। (नीतिवचन 19:20)
सब कल्पनाएॅं सम्मति ही से स्थिर होती हैं; और युक्ति के साथ युद्ध करना चाहिये। (नीतिवचन 20:18)
 
इसलिये जब तू युद्ध करे, तब युक्ति के साथ करना, विजय बहुत से मन्त्रियों के द्वारा प्राप्त होती है। ( नीतिवचन 24:6)
मुॅंह देखकर न्याय न करो, परन्तु ठीक ठीक न्याय करो॥ (यूहन्ना 7:24)
पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है। (याकूब 3:17)
अब तीसरी बार तुम्हारे पास आता हूॅं: दो या तीन गवाहों के मुॅंह से हर एक बात ठहराई जाएगी। (2 कुरिन्थियों 13:1)
 

प्रिय आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यावाद। 

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