abhishek kya hai

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जय मसीह की दोस्तों ,

दोस्तों आज हम जिस टॉपिक के बारे जाने वाले है वो अभिषेक के बारे में है। एक मसीह जीवन में अभिषेक बहुत ही जरुरी है। अगर आप एक मसीह है तो आपको आपके पास अभिषेक होना बहुत ही जरुरी है। अगर आप चर्च में छोटा सा भी काम करते है  तो भी आपको अभिषेक की जरुरत है, अगर आप चर्च में झाडू भी लगा रहे हो फिर भी आपको अभिषेक की जरुरत है। 

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चलिए दोस्तों जानते है अभिषेक के बारे में –

abhishek kya hai अभिषेक क्या है 

अभिषेक परमेश्वर की वो सामर्थ है जो हमें समर्थ करती है असंभव बातों को संभव करने में। अभिषेक परमेश्वर की सामर्थ है। अभिषेक हमें सामान्य व्यक्ति से अलौकिक व्यक्ति बना देता है। उदाहरण किसी भी बीमार को चंगा करना असंभव होता है लेकिन जो अभिषेक आता है जब हम सामर्थ प्राप्त करते है तब हम एक व्यक्ति को हम  छूते है वो व्यक्ति चंगा हो जायेगा । अभिषेक परमेश्वर की को शक्ति है जो असंभव को संभव करवा देती है। बाइबल बताती है की परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है 
 
मनुष्यों से यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर सब कुछ हो सकता है। ( मत्ती 19:26 )


बाइबल के पुराने नियम के समय में याजकों, राजाओं और कभी कभी नबियों को उनके पद पर नियुक्त करने के लिए अभिषेक की धार्मिक रीति को सम्पन्न करने का उत्सव मनाया जाता था अभिषेक पाने वाले व्यक्ति के सिर पर पवित्र तेल को उण्डेला जाता था। यह तेल इस बात का चिन्ह था कि इस व्यक्ति को परमेश्वर की सेवा के लिए पवित्र ‌ठहरा कर अलग किया गया है। इस प्रकार अभिषेक के बाद उसे अधिकार मिल जाता था कि वह अपने पद के अनुसार अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व को निभा कर पुरा कर सके (निर्गमन 28:41; गिनती 3:2-3; 1 राजा 1:39; 19:16; 2 राजा 9:3; भजन संहिता 18:50; 28:8; 105:15;) ।
 
वस्तुओं तथा लोगों दोनों का अभिषेक किया जा सकता था। मुसा ने तम्बु तथा उसमें ‌की वस्तुओं का अभिषेक यह दर्शाने के लिए किया था कि ये सब वस्तुएं पवित्र कार्य के लिए अलग कर दी गई हैं (निर्गमन 30:22-30)। जो तेल अभिषेक के समय काम में लाया जाता था वह एक विशेष विधि से तैयार किया जाता और यह अन्य कार्यों के लिए‌ प्रयोग में नहीं लाया जाता था (निर्गमन 30:26-33)। पद पर नियुक्ति के लिए अभिषेक में परमेश्वर की ओर से अधिकार भी सम्मिलित होता था, इस कारण उसकी नियुक्ति को चुनौती नहीं दे सकता था (1 शमूएल 10:1; 24:6)।
 
 
 
अभिषेक किसी विशेष कार्य को करने के लिए परमेश्वर के सामर्थ्य या पवित्र – आत्मा के दान से भी सम्बन्धित होता था (1 शमूएल 16:13;)। मूलतः इस प्रकार के अभिषेक भौतिक उत्सव में सम्पन्न होते थे। परन्तु आत्मिक महत्व के कारण अभिषेक शब्द को लोगों ने रूपक स्वरूप मानकर पूर्णतः आत्मिक क्षेत्र में इसका प्रयोग करना आरंभ कर दिया । अभिषेक इस बात का प्रतीक था कि जिस व्यक्ति का अभिषेक किया गया है उसे परमेश्वर की सेवा हेतु तैयार करने के लिए उस पर परमेश्वर का आत्मा उण्डेला गया है (यशायाह 61:1; प्रेरितों के काम 10:38)। इस शब्द का प्रयोग बाद में और  भी अधिक विस्तार से होने लगा। इसी कारण बाइबल में प्रकट हुआ कि वे सब जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है उनका अभिषेक हुआ है  (2 कुरि 1:21-22; यूहन्ना 2:20,27)। प्रभु यीशु विशेष कार्य हेतु परमेश्वर का अभिषिक्त था (लुका 4:18; प्रेरितों के काम 4:26-27; 10:38)।

अभिषेक करना 

यद्यपि कलीसिया की पारम्परिक भाषा में ‘ अभिषेक करना ‘ साधारण शब्द है परन्तु यह बाइबल में साधारण नहीं है।  यह बाइबल के किसी किसी आधुनिक संस्करण में पाया नहीं जाता है।  इस शब्द का साधारण अर्थ ‘ नियुक्त करना ‘ है जैसे यीशु का अपने चेलों को नियुक्त करना (मरकुस 3:13-14 ; यूहन्ना 15 :16 ) और प्रेरितों का कलीसिया के अगुवों को नियुक्त करना ( प्रेरितों के काम 6:3,6 ; 14:23  ) 

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लोगों को ऐसी नियुक्तियां शीघ्रता में नहीं करनी थी। उन्हें निश्चय होना था कि जो लोग नियुक्त किए जा रहे है उनमें परमेश्वर की ओर से दिए जाने वाले दान पाए जाते है  और वे अपने इस भरोसे को अभिषेक ( नियुक्ति ) की रीति के समय हाथ रख कर प्रगट करते हैं ( प्रेरितों के काम 6:6 ; 1 तीमुथियुस 4:14 ; 5 :22 )

दोस्तों आपको अभिषेक के बारे में जो आर्टिकल लिखा गया हे वो पढ़ कर आपको कैसा लगा comment करके जरूर बताये। 

Thank you……. 😁😁😁 

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