bible verses about difficulties in hindi
जय मसीह की प्रिय,
यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने एलिय्याह के द्वारा कहा था, न तो उस घड़े का मैदा समाप्त हुआ, और न उस कुप्पी का तेल घट गया। (1 राजा 17:16)
परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएॅं;
चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काॅंप उठें॥ (भजन संहिता 46:1-3)
समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है; जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उन को शान्त कर देता है। (भजन संहिता 89:9)
महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है॥ (भजन संहिता 93:4)
वह आॅंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं। (भजन संहिता 107:29)
क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका दीवार पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ। (यशायाह 25:4)
जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूॅंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आॅंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। (यशायाह 43:2)
यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है। (नहूम 1:7)
उस ने उन से कहा; हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो? तब उस ने उठकर आन्धी और पानी को डाॅंटा, और सब शान्त हो गया।
और लोग अचम्भा करके कहने लगे कि यह कैसा मनुष्य है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं। (मत्ती 8:26-27)
देखो, मैने तुम्हे साॅंपों और बिच्छुओं को रौंदने का, और शत्रु की सारी सामर्थ पर अधिकार दिया है; और किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी। (लूका 10:19)
तू वचनरूपी कोड़े से बचा रहेगा और जब विनाश आए, तब भी तुझे भय न होगा। (अय्यूब 5:21)
यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊॅंचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊॅंचा गढ़ ठहरेगा।
और तेरे नाम के जानने वाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तू ने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया॥ (भजन संहिता 9:9-10)
यहोवा खरे लोगों की आयु की सुधि रखता है, और उनका भाग सदैव बना रहेगा।
विपत्ति के समय, उनकी आशा न टूटेगी और न वे लज्जित होंगे, और अकाल के दिनों में वे तृप्त रहेंगे॥(भजन संहिता 37:18-19)
मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूॅं; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े माॅंगते देखा है। (भजन संहिता 37:25)
हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उससे अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है। (भजन संहिता 62:8)
मैं यहोवा के विषय कहूॅंगा, कि वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूॅंगा। (भजन संहिता 91:2)
उसने छाया के लिये बादल फैलाया, और रात को प्रकाश देने के लिये आग प्रगट की।
उन्होंने माॅंगा तब उसने बटेरें पहुॅंचाई, और उन को स्वर्गीय भोजन से तृप्त किया।
उसने चट्टान फाड़ी तब पानी बह निकला; और निर्जल भूमि पर नदी बहने लगी। (भजन संहिता 105:39-41)
क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल और सूखी भूमि पर धाराएॉं बहाऊॅंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष उण्डेलूॅंगा। (यशायाह 44:3)
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएॅंगे, या क्या पीएॅंगे, या क्या पहिनेंगे? (मत्ती 6:30-31)
हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते। (2 कुरिन्थियों 4:8-9)
आमीन।