what is faith yaa vishvas kya hai

what is faith yaa vishvas kya hai

जय मसीह की दोस्तों ,

दोस्तों आज में जिस विषय के बारे में बताने वाला हूँ वो विषय है what is faith  अथवा ये कह सकते है की विश्वास क्या है। दोस्तों तो आज हम जानते है की बाइबल विश्वास के बारे में क्या बताती है। 

मैंने विश्वास के बारे में दूसरा आर्टिकल भी लिखा है वह देखने के लिए लिंक पे क्लीक करे bible word on faith in hindi

विश्वास क्या है ?

‘नया नियम ‘ की मौलिक भाषा में ‘ विश्वास ‘ संज्ञा और ‘ विश्वास करना ‘ क्रिया में दोनों एक शब्द के दो भाग हैं। यद्दपि विश्वास में ‘ विश्वास करना ‘ सम्मिलित हैं और यह विश्वास का महत्वपूर्ण कार्य है (बाइबल की भाषा में) जिसका अर्थ भरोसा रखना है।

 

 शब्दकोश में विश्वास को ऐसे परिभाषित करता है , ” किसी व्यक्ति या किसी वस्तु पर भरोसा  ”

बाइबल में हम इब्रानियों की किताब में विश्वास की परिभाष देख सकते है ” विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है। ” 

अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है। ( इब्रानियों 11:1)

 हम इब्रानियों के 11वें अध्याय के पहले पद के अनुसार हम कुछ बातों पर आशा करते है की जिसे हम देख नहीं सकते पर उन बातों पर पूरा निश्चय है की वह हमे मिल जाएगी।  वो बातें कौनसी है उदाहरण के लिए देखे – हम परमेश्वर को देख नही लेकिन विश्वास करते है की परमेश्वर है, परमेश्वर जिन्दा है, यीशु मसीह हमे उद्धार देने के लिए हमारे पापों के लिए मारा गया और तीसरे दिन जिन्दा हो गया और यीशु मसीह हमें स्वर्ग  जायेगा। 

हमें इन बातो का निश्चय है और हम इन्हे देख नहीं सकते पर पूरा भरोसा है इस को कहते है विश्वास।

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विश्वास क्यों चाहिए ?

बाइबल में विश्वास के बारे बहुत कुछ है और बहुत ही महत्वपूर्ण है। कदाचित मसीही जीवन का कोई भी अन्य घटक विश्वास से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है क्योँकि हम इब्रानियों 11:6 देखते है विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना अनहोना है और जो कोई उसके पास आता है उसको विश्वास करना चाहिए की वह है और  उसे खोजने वाले को प्रतिफल देता है।

और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना
अनहोना है; क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए कि वह
है, और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है। ( इब्रानियों 11:6)
 

इस वचन के अनुसार हमारे अंदर विश्वास नहीं है तो हम परमेश्वर को खुश नहीं कर सकते। हमे विश्वास करना चाहिए की वह है और हमारी प्रार्थना सुनता है और हम जो मांगते है वह हमें देगा।  

विश्वास एक सच्चे परमेश्वर पर वास्तव में उसे देखे बिना विश्वास करना है। 

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दूसरी बात हमें विश्वास क्योँ चाहिए क्योँ की बाइबल हमें बताती है की जो कुछ हम प्रार्थना में मांगते है उसकी पतीति कर कर लेनी चाहिए की वह हम मिल गया। अगर हम विश्वास नहीं करेंगे तो हमारी प्रार्थना अनसुनी जाएगी। जब हम परमेश्वर  इच्छा के अनुसार कुछ मांगते है वह हमें देगा लेकिन उसके लिए हमें विश्वास करने की जरुरत है।  

इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा। (मरकुस 11:24)

विश्वास कहाँ से मिलता है ?

विश्वास पवित्र आत्मा के नव वरदान में से एक वरदान भी है हम देख सकते है 1 कुरिन्थियों 12 अध्याय में जंहा पर पवित्र आत्मा के वरदान के बारे में लिखा गया है हम यंहा पर सभी वरदान के बारे में नहीं देखेंगे लेकिन विश्वास का वरदान के बारे में जो पद है 1 कुरिन्थियों 12:9  उसे देखंगे 

किसी को उसी आत्मा से विश्वास  (1 कुरिन्थियों 12:9 )

 इस तरह से विश्वास जो है परमेश्वर का दिया हुवा वरदान है। लेकिन हम रोमियों की किताब में देखते है की विश्वास सुनाने से आता है और सुना मसीह के वचन से होता है। रोमियों की किताब में देखे –

अंत: विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है। (रोमियो 10:17)

 अगर आप में विश्वास नहीं है या विश्वास की कमी है तो वचन को पढ़िए या तो वचन को सुनिए जिसे आपके अंदर विश्वास बढ़ेगा। परमेश्वर का वचन जीवित वचन है वह आपके विश्वास को बढ़ाने सहायता करता है।

संक्षेप में हम कहे सकते है की विश्वास परमेश्वर  दिया हुवा वरदान है लेकिन हम मसीह के वचन सुनके हम हमारे विश्वास को बढ़ा सकते है और हम हमारे विश्वास को काम में ला सकते है।

विश्वास के उदाहरण या विश्वास के हीरो

इब्रानियों अध्याय 11 को ” विश्वास के अध्याय ” के नाम से जाना जाता है,क्यों की इसमें विश्वास के बड़े कार्यों का वर्णन किया गया है। विश्वास  ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिए चढ़ाया ( इब्रानियों 11:4 ) ;विश्वास ही के द्वारा नूह ने एक जहाज का निर्माण किया जब की वर्षा अभी कुछ पता नहीं था  ( इब्रानियों 11:7 ); विश्वास ही से अब्राहम ने आज्ञा मानकर अपने घर को छोड़ दिया , और ऐसे स्थान की ओर चल दिया , जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता था , तब उसने स्वेच्छा से अपने एकलौते पुत्र को बलिदान  लिए दे दिया  ( इब्रानियों 11:8 -10,17 ); विश्वास ही के द्वारा मूसा मिसर में से इस्राएल की संतान को निकल ले आया  ( इब्रानियों 11:23 -29 ) विश्वास ही से राहाब ने इस्रालियों के भेदियों को ग्रहण किया और अपने जीवन को बचा लिया  ( इब्रानियों 11:31 ) ; विश्वास के और भी बहुत से नायकों का उल्लेख किया गया है ” इन्होने विश्वास ही के द्वारा  राज्य जीते ; धर्म के काम किये ; की हुई वस्तुएँ प्राप्त की , सिंहो के मुँह बंद किए।  आग की ज्वाला को ठण्डा किया ; तलवार की धार से बच निकले , निर्बलता में बलवंत हुए ; लड़ाई में वीर निकले ; विदेशियों  की फौजों को मार भगाया “ ( इब्रानियों 11:33-34 ) स्पष्ट है की विश्वास के अस्तित्व को कार्य के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।  

 विश्‍वास मसीहियत की आधारशिला है 

परमेश्‍वर में विश्‍वास और
विश्‍वास दिखाने के बिना हमारे पास उसके पास आने के लिए और कोई स्थान नहीं
है। हम विश्‍वास के द्वारा परमेश्‍वर की उपस्थिति में विश्‍वास करते हैं।
अधिकांश लोगों में एक अस्पष्ट, असहमतिपूर्ण धारणा है कि परमेश्‍वर कौन हैं,
परन्तु उनके जीवन में उस के लिए आवश्यक श्रद्धा की कमी है, यदि परमेश्‍वर
को सर्वोच्च स्थान पर ऊपर उठा लिया जाए। इन लोगों में सच्चे विश्‍वास की
कमी है, जो परमेश्‍वर के साथ एक अनन्तकालीन सम्बन्ध को बनाए रखने के लिए
अति आवश्यक है, जो उसने प्रेम करता है। विश्‍वास हमें कई बार विफल कर सकता
है, परन्तु क्योंकि यह परमेश्‍वर की ओर से उसकी सन्तान को दिया गया वरदान
है, इसलिए वह परीक्षाओं और परखों के समय में आवश्यक विश्‍वास को प्रदान
करता है कि हम यह प्रमाणित कर सकें कि हमारा विश्‍वास वास्तविक है और इसे
तीखा और सामर्थी बना सकें। इसलिये ही याकूब हमें “पवित्र आनन्द” के ऊपर
विचार करने के लिए कहता है, क्योंकि हमारे विश्‍वास के परखे जाने से धैर्य
उत्पन्न होता है और यह हमें परिपक्व बनाते हुए, उस प्रमाण को प्रगट करता है
कि हमारा विश्‍वास वास्तविक है (याकूब 1:2-4)।

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bible me se parmeshwar ke jivan ko prapt kare 

विश्वास के बिना हम मसीह जीवन को सोच नहीं सके इसलिए मसीह लोगो को विश्वासी भी कहा जाता है। 

GOD BLESS YOU…..😄😄😄 


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